काका की प्रमुख कृतियाँ * कालिज स्टूडैंट * घूस माहात्म्य * चांद की यात्रा पर नेता जी की प्रतिक्रिया * दहेज की बारात * दामाद और यमराज * धमधूसर कव्वाल * नगरपालिका या नरकपालिका * नाम-रूप का भेद * पुलिस महिमा * प्यार किया तो मरना क्या * भारत में हिंदी * महंगाई और भ्रष्टाचार * मुर्ग़ी और नेता

गुरुवार, 23 सितंबर 2010

कालिज स्टूडैंट

कालिज स्टूडैंट

फ़ादर ने बनवा दिये, तीन कोट छै पैंट
लल्ला मेरा बन गया, कालिज स्टूडैंट
कालिज स्टूडैंट, हुये होस्टल में भरती
दिन भर बिस्कुट चरैं, शाम को खायें इमरती
कहँ 'काका' कविराय, बुद्धि पर डाली चादर
मौज़ कर रहे पुत्र, हड्डियां घिसते फ़ादर

रचना : काका हाथरसी
‘ काका की फुलझड़ियाँ ’ पुस्तक ( डायमण्ड पॉकेट बुक्स , नई दिल्ली , संस्करण २००२ ) में प्रकाशित कविता 'कालिज-स्टूडैंट' से संक्षिप्त रूप में साभार उद्धृत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

  ©काका हाथरसी - Todos os direitos reservados.

Template by Devraj Rana | Topo