चंद्रयात्रा और नेता का धंधा
ठाकुर ठर्रा सिंह से बोले आलमगीर
पहुँच गये वो चाँद पर, मार लिया क्या तीर?
मार लिया क्या तीर, लौट पृथ्वी पर आये
किये करोड़ों ख़र्च, कंकड़ी मिट्टी लाये
'काका', इससे लाख गुना अच्छा नेता का धंधा
बिना चाँद पर चढ़े, हजम कर जाता चंदा
रचना : काका हाथरसी
स्रोत: अज्ञात (टिप्पणी: उपर्युक्त पंक्तियाँ स्मृति से उद्धृत की गईं हैं, अतः इनमें ग़लतियां संभव हैं।)
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